धोखाधडी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश
एक अपराधी दिल्ली से किया गिरफ्तार
देहरादून। साइबर क्राइम पुलिस ने 1 लाख 95 हजार रुपये के फर्जी सिमकार्ड बरामद करते हुए दिल्ली से ठग को गिरफ्तार किया। एसटीएफ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आयुष अग्रवाल ने बताया कि देहरादून निवासी ने एक शिकायत दर्ज कराई थी। जिसके मुताबिक पीडि़त को एक वह्ट्सएप ग्रुप “T Rowe Price stock pull up group A82” में जोड़ा गया है जहां स्टॉक ट्रेडिंग के बारे में जानकारी दी जा रही थी उसी ग्रुप के माध्यम से कुछ लोगों ने पीड़ित से सम्पर्क कर स्वंय को Indira Securities कम्पनी से बताकर ट्रेडिंग के लिए उसका खाता खुलवाया और एक दूसरे वह्ट्सएप ग्रुप “INDIRA Customer care- A303” में एड कर एप डाउनलोड करने के लिए लिंक दिया।
यही पर स्टॉक ट्रेडिंग में निवेश कर लाभ कमाने के नाम पर पीड़ित से लगभग 80 लाख रुपये की धोखाधड़ी हुई। साइबर क्राइम पुलिस ने मामले की जांच शुरू की। पुलिस ने सबसे जिन मोबाइल नम्बरों से पीड़ित को व्हाट्सएप कॉलिंग की गयी थी उनकी डिटेल्स निकालनी शुरू की। तब पुलिस को पता चला कि वह नंबर XENO TECHNOLOGY के नाम से है। जो मुदस्सिर मिर्जा पुत्र जुबैर मिर्जा( निवासी तुर्कमान गेट चाँदनी महल दिल्ली) का है। तब एक एस0टी0एफ0 टीम को दिल्ली रवाना हुई और मुदस्सिर मिर्जा को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने उसके लगभग 3000 सिम बरामद किए।
मुदस्सिर मिर्जा ने पूछताछ में बताया कि वह कोरपोरेट आईड़ी के नाम पर हजारों की संख्या में एम2एम सिम कार्ड्स ISSUE करा चुका है। जिनका प्रयोग व्हाटसएप पर अपने बिजनेस की मार्केटिंग के लिए करता है। इसके लिए उसने मुम्बई, बोरीवली में एक ऑफिस भी लिया है और अपने कोरपोरेट आईड़ी पर एयरटेल से कुल 29,000 सिम, वोडाफोन-आईडिया के 16000 सिम कार्ड खरीदे जिसे उसने अपने एजेण्टों को वितरित किया है।
एम2एम संचार क्या है?
एम2एम संचार आमतौर पर मशीनों के बीच होता है, जहां नेटवर्क डिवाइस बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के सूचनाओं का आदान-प्रदान करते हैं। यह रेगुलर सिम से अलग है जिसे एक फोन से दूसरे फोन में ट्रांसफर किया जा सकता है। डेबिट/क्रेडिट कार्ड स्वाइपिंग मशीन, पीओएस (प्वाइंट-ऑफ-सेल) डिवाइस जैसे उपकरण एम2एम संचार में शामिल हैं। इस प्रकार के संचार का उपयोग गोदाम प्रबंधन, रोबोटिक्स, यातायात नियंत्रण, रसद सेवाओं, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन, बेड़े प्रबंधन, रिमोट कंट्रोल और बहुत कुछ में भी किया जाता है। इसके अलावा, इसका उपयोग उभरती प्रौद्योगिकियों जैसे इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) उपकरणों के लिए किया जा रहा है।